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Friday, October 15, 2021

मिथ्या माहुर सज्जनहि, खलहि गरल सम सांच तुलसी छुअत पराइ ज्यों, पारद पावन आंच ।।

 मिथ्या माहुर सज्जनहि,

खलहि गरल सम सांच तुलसी छुअत पराइ ज्यों,

पारद पावन आंच ।।

-तुलसीदास
तुलसीदास जी कहते हैं कि सज्जन पुरुष के लिए असत्य विष के समान है और दुष्ट के लिए सत्य विष के समान है। सज्जन असत्य को और दुष्ट सत्य को छूते ही भाग जाते हैं, जैसे अग्नि की आंच लगते ही पारा उड़ जाता है।

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