दरिया' संगत साघ की, सहजै पलटै बंस।
कीट छांड मुक्ता चुगै, होय काग ते हंस ।।
-दरिया महाराजसंत दरिया महाराज का कथन है कि साधु की संगति से आसानी से वंश पलट: जाता है और हंस की भांति कीड़े खाना छोड़कर मोती चुगने लगता है। इस प्रकार वह कौए से हंस बन जाता है अर्थात् संतों की संगति में बैठकर नीच प्रकृति का व्यक्ति भी सज्जन बनकर अपने वंश का उद्धार कर देता है।