रहिमन आटा के लगे, बाजत है दिन-राति । घिउ शक्कर जे खात है, तिनकी कहा बिसाति ।।
-रहीमदास
रहीमदास जी कहते हैं कि जो मधुरता आटे में है, वह घी और शक्कर में कहां है? ऐसा इसलिए कहा गया है, क्योंकि यदि तबले, मृदंग आदि बजाने वाले बाजों के तारों पर आटे का लेप लगाया जाए तो उनका स्वर मधुर हो जाता है, लेकिन यदि इन्हीं पर घी शक्कर का लेप लगा दिया जाए तो वे बिगड़ जाते हैं