दया धर्म हिरदै बसै, बोलै अमृत बैन ।
तेई ऊंचे जानिये, जिसके नीचे नैन ।।
- मलूकदासमलूकदास जी कहते हैं कि जिसके हृदय में दया-धर्म का वास रहता है, जो अमृतमय वचन बोलते हैं तथा जो नीचे नेत्र करके रहते हैं, उन्हें ही ऊंचा समझना चाहिए अर्थात् दया, धर्म, मृदुवचन तथा विनम्रता जैसे गुण मनुष्य को ऊंचा बना देते हैं।