बलिहारी वा दूध की, जामें निकसे घीव।
घी साखी कबीर की, चार वेद का जीव।।
-कबीरदासकबीरदास जी कहते हैं कि मेरी आधी साखी चारों वेदों की जान है तो मैं क्यों न उस दूध का सम्मान करूं, जिसमें घी निकले। जिस प्रकार दूध में घी है, उसी प्रकार मेरी आधी साखी चारों वेद का निचोड़ है।