दादू समकरि देखिये, कुंजर कीट समान।
दादू दुविधा दूरि करि, तजि आपा अभिमान ।।
-दादूदयालसंत दादूदयाल जी कहते हैं कि संसार में सारा दुख अपने पराए के अनुभव से ही है। सबको समान मानो, चाहे वह हाथी हो या चींटी। यदि तुम अपने आपका अभिमान छोड़ दोगे तो सारी दुविधा दूर हो जाएगी।