काठ काठ सब एक से, सब काहू दरसात।
अनिल गिलै जब अगर कौ, तब गुन जान्यौ जात।। -नागरीदासनागरीदास जी का कथन है कि बाहर से देखने पर तो सारी लकड़ी एक जैसी लगती है, किंतु जब अगरबत्ती का धुआं वायु में मिलकर सब जगह सुगंध फैलाता है, तब उसकी विशेषता का पता चलता है।