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Friday, October 15, 2021

काठ काठ सब एक से, सब काहू दरसात। अनिल गिलै जब अगर कौ, तब गुन जान्यौ जात।। -नागरीदास

 काठ काठ सब एक से, सब काहू दरसात।

अनिल गिलै जब अगर कौ, तब गुन जान्यौ जात।। -नागरीदास

नागरीदास जी का कथन है कि बाहर से देखने पर तो सारी लकड़ी एक जैसी लगती है, किंतु जब अगरबत्ती का धुआं वायु में मिलकर सब जगह सुगंध फैलाता है, तब उसकी विशेषता का पता चलता है।

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