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Friday, October 15, 2021

सब धरती कारज करूं, लेखनी सब वरनाय । सात समुद्र की मसि करूं, गुरुगुन लिखा न जाय।। -कबीरदास

 सब धरती कारज करूं, लेखनी सब वरनाय ।

सात समुद्र की मसि करूं, गुरुगुन लिखा न जाय।। -कबीरदास

कबीरदास जी गुरु की महत्ता को दर्शाते हुए कहते हैं कि मैं चाहे सारी पृथ्वी को कागज बनाऊं, सारे जंगल के वृक्षों के कलम बनाऊं और सातों समुद्र की स्याही बनाऊं तो भी गुरु के यश का गुणगान नहीं लिख सकता।

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