रहिमन नीर परवान, बूड़े पै सीझे नहीं।
तैसे मूरख ज्ञान, बूझे पै सूझे नहीं।।-रहीमदास
रहीमदास जी कहते हैं कि पत्थर पानी में डूबता अवश्य है, लेकिन पानी के साथ रहकर भी वह मुलायम नहीं होता। इसी प्रकार मूर्ख के आगे चाहे कितनी भी ज्ञानपूर्ण बातें की जाएं, उसे कभी कुछ नहीं समझ में आता।