कबीरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर ।
ना काहू से दोस्ती, न काहू से बैर ।।
इस संसार में आकर कबीरदास अपने जीवन में बस यही चाहते हैं कि सबका भला हो और संसार में यदि किसी से दोस्ती नहीं तो दुश्मनी भी न हो।
About Shiekshaa
विपत्ति भए धन ना रहे, होय जो लाख करोर। नम तारे छिपि जात है, ज्यों रहीम भए भोर ।। -रहीमदास रहीमदास जी कहते हैं कि मनुष्य संकटकाल के लिए ला...