लोग भरोसे कौन के, बैठे रहें उरगार।
जीव रही लूटत जम फिरे, मैदा लुटे कसाय।।
-कबीरदास
जैसे मेढ़े को कसाई मारता है, इसी प्रकार यम जीव को मारने की घात में लगा रहता है और समझ में नहीं आता कि लोग किसके भरोसे ग्राफिल (बेखबर) बैठे हुए हैं, वे क्यों नहीं गुरु से शिक्षा लेते और बचने का उपाय करते।