जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं।
गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुख मानत नाहिं।। -रहीमदास
रहीमदास जी कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन नहीं घटता, क्योंकि गिरधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होतीजो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं।
गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुख मानत नाहिं।। -रहीमदास
रहीमदास जी कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन नहीं घटता, क्योंकि गिरधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती
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विपत्ति भए धन ना रहे, होय जो लाख करोर। नम तारे छिपि जात है, ज्यों रहीम भए भोर ।। -रहीमदास रहीमदास जी कहते हैं कि मनुष्य संकटकाल के लिए ला...